अपने विवेक से अच्छा काम कर रहे हैं मुक़द्दर बदलने का इंतजार कर रहे हैं मुश्किल वक्त में कौन-कौन लोग साथ देते हैं पहचान कर रहे हैं
तुम्हारे खुशियों की महफिल सलामत रहे झोली में सच्चाई की अमानत रहे कोई बेकसूर साजिश का शिकार न हो हर सही इंसान की जमानत रहे
तुमसे मुलाकात के बाद ऐसा लगा अजनबी शहर में कोई अपना मिल गया एक भटके हुए राही को मंजिल का रास्ता मिल गया
उसके असली स्वभाव का पता होने तक फासला रखना मीठी मीठी बातों के चक्रव्यू में साजिश कर रहा हो आजमाकर हर पहलू आगे कदम बढ़ाना
उनके वादों से खुशी के बिल्कुल करीब था मगर अपनी मुकद्दर में बिछड़ना नसीब था
उसकी आदत है अजीबोगरीब सवाल कर खुद ही रूठ जाने की अच्छे से डांटकर समझा देता डर लगता है रिश्ता टूट जाने की