Shayari sangrah
आजकल कम मिलती हो किस बात की बेरुखी है तुम्हारी सभी शिकायतें खत्म कर दूंगा इस उम्मीद में कई बार मुलाकात की है
उसकी वफ़ा के कायल हो गए हैं इस कदर मुस्कुराकर प्यार से देखा है घायल हो गए मोहब्बत के सिवा और कुछ सूझता नहीं है लोग कहते हैं हम पागल हो गए हैं
अब तन्हाइयों का बोझ सह नहीं पाऊंगा इस कशमकश में जी नहीं पाऊंगा मेरे हालात पर रहम करो खुशियां लौटा दो
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