फजीहत शायरी संग्रह
मैंने माना भूल से गलती हो गई है कितना फजीहत करोगी सोहबत में रहना लंबी उम्र बाकी है फिक्र हो रही है हर कदम साथ कैसे चलोगी
उसको अनायास शक हो गया है बेवजह फजीहत हो गया हूं आजकल वह गुस्से में इस तरह डूबी है मोहब्बत से रुखसत हो गया हूं
मेरे शराफत का नाजायज फायदा उठाकर फजीहत करती हो ऐसा प्रतीत हो रहा है मेरा भ्रम है तुम बेतहाशा प्यार करती हो
दिल में सिर्फ तुम रहती हो शक में बेवजह फजीहत करना छोड़ दो मन की गहराई में अच्छे से झांककर देख लो
बेवफा के मोहब्बत में सरेआम फजीहत हो गया हूं कोई दिल की सादगी में झांकने की कोशिश नहीं किया मुझ पर कुछ लोग इल्जाम डाल रहे थे उसका अच्छे से ख्याल नहीं किया
मेरे फजीहत होने का सफर शुरू हो गया है मुझसे कोई द्वेष भाव रखने वाला, उसको बहका रहा है हम दोनों में दूरियां बढ़ने लगी है और वह करीब आ रहा है